Wednesday, September 30, 2009

Poem waah waah

दुआ है सशा की हर ख्वाइश हो पूरी तुमारी
हर ख़ुशी खड़ी हो द्वार तुमारी

तुम ढूंढते हो जिस मुकाम को ख्वाबो खयालो मैं
तुम्हें वोह मिल जाए इसी जिंदगानी मैं

पर याद रखना तुम हमे हर मुकाम पर
न भुलाना हमें किसी भी दोराहे पर

न याद आएगा कोई पाठशाला का कमरा
न याद आएगी कोई बात हमारी

बस आंसू में डूब जायेंगे हर सपने
और हाथ में रह जायेगे कुछ कागज़ के टुकड़े

जो कभी तुमारी तमन्ना थी दोस्ती से बढ़ कर
आज तुम्हें लगेगी वोह हर चीज़ से बत्तर

जी ले ख़ुशी के हर पल को मेरे दोस्त
क्योकि बीते पल कोई दौलत वापस ना ला पाएगी ...

शायद तुमारी हर सांस तुम्हें याद न रख पायेगी
पर हमें तुमारी याद......
हर सांस से पहेले आएगी

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